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श्लोक 48
श्लोक
3.15.48
কৃষ্ণ ইহাঙ্ ছাডি’ গেলা, ইহোঙ্ — বিরহিণী
কিবা উত্তর দিবে এই — না শুনে কাহিনী”
कृष्ण इहाँ छाड़ि’ गेला, इहों - विरहिणी ।
किबा उत्तर दिबे एइ - ना शुने काहिनी” ॥48॥
अनुवाद
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“भगवान कृष्ण ने यह स्थान छोड़ दिया है, इसीलिए मृगों को विरह का दुःख सता रहा है। वे हमारे शब्दों को सुन नहीं पा रहे हैं, तो वे उत्तर कैसे दे सकते हैं?”
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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