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श्लोक 47
श्लोक
3.15.47
রাধা-অঙ্গ-সঙ্গে কুচ-কুঙ্কুম-ভূষিত
কৃষ্ণ-কুন্দ-মালা-গন্ধে বাযু — সুবাসিত
राधा - अङ्ग - सङ्गे कुच - कुङ्कुम - भूषित ।
कृष्ण - कुन्द - माला - गन्धे वायु - सुवासित ॥47॥
अनुवाद
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कृष्ण ने श्रीमती राधारानी को आलिंगन में लिया और राधारानी के वक्षस्थलों में लगा कुंकुम-चूर्ण उनके शरीर पर पहनी गई कुंद माल में मिल गया है। इस माला की सुगंध ने पूरे वातावरण को सुवासित कर दिया है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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