“कह, मृग, राधा - सह श्री कृष्ण सर्वथा ।
तोमाय सुख दिते आइला? नाहिक अन्यथा ॥45॥
अनुवाद
“हे मृगी, श्रीकृष्ण को तुम्हें खुशियाँ देने में हमेशा ख़ुशी होती है। कृपा करके हमें बताओ कि क्या वे श्रीमती राधारानी के साथ इसी रास्ते से गये थे? हमें लगता है कि वे ज़रूर इसी रास्ते से आये होंगे।