श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 15: श्री चैतन्य महाप्रभु का दिव्य उन्माद  »  श्लोक 45
 
 
श्लोक  3.15.45 
“কহ, মৃগি, রাধা-সহ শ্রী-কৃষ্ণ সর্বথা
তোমায সুখ দিতে আইলা? নাহিক অন্যথা
 
 
“कह, मृग, राधा - सह श्री कृष्ण सर्वथा ।
तोमाय सुख दिते आइला? नाहिक अन्यथा ॥45॥
 
अनुवाद
 
  “हे मृगी, श्रीकृष्ण को तुम्हें खुशियाँ देने में हमेशा ख़ुशी होती है। कृपा करके हमें बताओ कि क्या वे श्रीमती राधारानी के साथ इसी रास्ते से गये थे? हमें लगता है कि वे ज़रूर इसी रास्ते से आये होंगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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