श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 15: श्री चैतन्य महाप्रभु का दिव्य उन्माद  »  श्लोक 40
 
 
श्लोक  3.15.40 
“তুলসি, মালতি, যূথি, মাধবি, মল্লিকে
তোমার প্রিয কৃষ্ণ আইলা তোমার অন্তিকে?
 
 
“तुलसि, मालति, यूथि, माधवि, मल्लिके ।
तोमार प्रिय कृष्ण आइला तोमार अन्तिके? ॥40॥
 
अनुवाद
 
  “हे तुलसी! हे मालती! हे यूथी, माधवी और मल्लिका! तुम सबको कृष्ण अत्यन्त प्रिय हैं, इसलिए वे तुम्हारे नज़दीक अवश्य आए होंगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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