श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 15: श्री चैतन्य महाप्रभु का दिव्य उन्माद  »  श्लोक 39
 
 
श्लोक  3.15.39 
অবশ্য কহিবে, — পাঞাছে কৃষ্ণের দর্শনে
এত অনুমানি’ পুছে তুলস্য্-আদি-গণে
 
 
अवश्य कहिबे , - पाञा छे कृष्णेर दर्शने ।
एत अनुमानि’ पुछे तुलस्यादि - गणे ॥39॥
 
अनुवाद
 
  "इन्होंने कृष्ण को अपनी आँखों से देखा है, इसलिए ये ज़रूर बताएँगी कि कृष्ण कहाँ गए हैं।" इस प्रकार अनुमान लगाते हुए गोपियाँ तुलसी के नेतृत्व में पौधों और लताओं से पूछताछ करने लगीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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