श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 15: श्री चैतन्य महाप्रभु का दिव्य उन्माद  »  श्लोक 38
 
 
श्लोक  3.15.38 
এ কেনে কহিবে কৃষ্ণের উদ্দেশ আমায?
এ — স্ত্রী-জাতি লতা, আমার সখী-প্রায
 
 
ए केने कहिबे कृष्णेर उद्देश आमाय ? ।
ए - स्त्री - जाति लता, आमार सखी - प्राय ॥38॥
 
अनुवाद
 
  “वृक्षों से ये पूछने का क्या फ़ायदा कि कृष्ण कहाँ गए हैं? चलो, लताओं से पूछते हैं; वो स्त्रियां हैं और हमारी सहेलियाँ जैसी हैं।”
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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