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श्लोक 3.15.28  |
এক-দিন মহাপ্রভু সমুদ্র-তীরে যাইতে
পুষ্পের উদ্যান তথা দেখেন আচম্বিতে |
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एक - दिन महाप्रभु समुद्र - तीरे याइते ।
पुष्पेर उद्यान तथा देखेन आचम्बिते ॥28॥ |
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अनुवाद |
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एक दिन, समुद्र के तट पर जाते हुए श्री चैतन्य महाप्रभु ने अचानक एक फूलों का बगीचा देखा। |
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