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श्लोक 3.15.25  |
এই-মত গৌর-প্রভু প্রতি দিনে-দিনে
বিলাপ করেন স্বরূপ-রামানন্দ-সনে |
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एइ - मत गौर - प्रभु प्रति दिने - दिने ।
विलाप करेन स्वरूप - रामानन्द - सने ॥25॥ |
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अनुवाद |
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इस प्रकार दिव्य पीड़ा में डूबे हुए, श्री चैतन्य महाप्रभु दिन-प्रतिदिन स्वरूप दामोदर गोस्वामी और रामानंद राय की संगत में विलाप करते रहे। |
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