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श्लोक 3.14.9  |
ক্ষণে ক্ষণে অনুভবি’ এই দুই-জন
সঙ্ক্ষেপে বাহুল্যে করেন কডচা-গ্রন্থন |
क्षणे क्षणे अनुभवि’ एइ दुइ - जन ।
सङ्क्षेपे बाहुल्ये करेन कड़चा - ग्रन्थन ॥9॥ |
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अनुवाद |
इन दो महान हस्तियों (स्वरूप दामोदर और रघुनाथ दास गोस्वामी) ने श्री चैतन्य महाप्रभु के हर पल की गतिविधियों को लिपिबद्ध किया है। उन्होंने अपनी पुस्तकों में इन गतिविधियों का संक्षिप्त और विस्तृत दोनों प्रकार से वर्णन किया है। |
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