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अध्याय 14: श्री चैतन्य महाप्रभु का कृष्ण-विरह भाव
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श्लोक 26
श्लोक
3.14.26
‘আদি-বস্যা’ এই স্ত্রীরে না কর বর্জন
করুক যথেষ্ট জগন্নাথ দরশন
‘आदि - वस्या’ एइ स्त्रीरे ना कर वर्जन ।
करुक यथेष्ट जगन्नाथ दरशन ॥26॥
अनुवाद
श्री चैतन्य महाप्रभु ने गोविन्द से कहा, "अरे अशिष्ट व्यक्ति, इस महिला को गरुड़ स्तम्भ पर चढ़ने से मत रोको। उसे जगन्नाथ जी के दर्शन भरपूर होने दो।"
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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