श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 14: श्री चैतन्य महाप्रभु का कृष्ण-विरह भाव  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  3.14.22 
দেহাভ্যাসে নিত্য-কৃত্য করি’ সমাপন
কালে যাই’ কৈলা জগন্নাথ দরশন
देहाभ्यासे नित्य - कृत्य करि’ समापन ।
काले याइ’ कैला जगन्नाथ दरशन ॥22॥
 
अनुवाद
श्री चैतन्य महाप्रभु ने अपने रोज़ के काम-धंधे पूरे किये और तय समय पर वे मंदिर में भगवान जगन्नाथ जी के दर्शन के लिए गए।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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