श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 14: श्री चैतन्य महाप्रभु का कृष्ण-विरह भाव  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  3.14.17 
এক-দিন মহাপ্রভু করিযাছেন শযন
কৃষ্ণ রাস-লীলা করে, — দেখিলা স্বপন
एक - दिन महाप्रभु करियाछेन शयन ।
कृष्ण रास - लीला करे , - देखिला स्वपन ॥17॥
 
अनुवाद
एक दिन जब श्री चैतन्य महाप्रभु विश्राम कर रहे थे, तो उन्हें सपना आया कि कृष्ण रास नृत्य कर रहे हैं।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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