श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 13: जगदानन्द पण्डित तथा रघुनाथ भट्ट गोस्वामी के साथ लीलाएँ  »  श्लोक 81
 
 
श्लोक  3.13.81 
তারে মিলিবারে প্রভু আবেশে ধাইলা
পথে ‘সিজের বাডি’ হয, ফুটিযা চলিলা
तारे मिलिबारे प्रभु आवेशे धाइला ।
पथे ‘सिजेर बा ड़ि’ हय, फुटिया चलिला ॥81॥
 
अनुवाद
जैसे महाप्रभु गायक से भेंट करने के लिए भाव विभोर होकर दौड़े, उनके शरीर में कांटों वाली झाड़ियाँ चूभ गईं।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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