श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 13: जगदानन्द पण्डित तथा रघुनाथ भट्ट गोस्वामी के साथ लीलाएँ  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  3.13.5 
কলার শরলাতে, শযন, অতি ক্ষীণ কায
শরলাতে হাড লাগে, ব্যথা হয গায
कलार शरलाते, शयन, अति क्षीण काय ।
शरलाते हाड़ लागे, व्यथा हय गाय ॥5॥
 
अनुवाद
क्योंकि वे अत्यंत दुबले-पतले थे, इस वजह से जब वे केले के शुष्क छिलकों पर लेटते थे, तो इससे उनकी हड्डियों में दर्द होता था।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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