कृष्ण - विच्छेदे दुःखे क्षीण मन - काय ।
भावावेशे प्रभु कभु प्रफुल्लित हय ॥4॥
अनुवाद
कृष्ण से विरह के दुःख के कारण प्रभु का मन दुर्बल हो गया और शरीर निर्बल हो गया, परंतु जब उन्हें भावात्मक प्रेम की अनुभूति होती, तो वे फिर से प्रसन्नचित्त और स्वस्थ हो जाते।