श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 13: जगदानन्द पण्डित तथा रघुनाथ भट्ट गोस्वामी के साथ लीलाएँ  »  श्लोक 32
 
 
श्लोक  3.13.32 
আইরে দেখিতে যৈছে গৌড-দেশে যায
তৈছে এক-বার বৃন্দাবন দেখি’ আয”
आइरे देखिते यैछे गौड़ - देशे याय ।
तैछे एक - बार वृन्दावन देखि’ आय” ॥32॥
 
अनुवाद
"आपने उन्हे माता शची से मिलने बंगाल जाने के लिए उनकी प्रार्थना स्वीकार की है; उसी तरह से आप उन्हें वृंदावन जाने और वापस इधर आने की इजाज़त ने ही दे सकते हैं।"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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