श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 13: जगदानन्द पण्डित तथा रघुनाथ भट्ट गोस्वामी के साथ लीलाएँ  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  3.13.3 
হেন-মতে মহাপ্রভু জগদানন্দ-সঙ্গে
নানা-মতে আস্বাদয প্রেমের তরঙ্গে
हेन - मते महाप्रभु जगदानन्द - सङ्गे ।
नाना - मते आस्वादय प्रेमेर तरङ्गे ॥3॥
 
अनुवाद
जगदानंद पंडित के साथ श्री चैतन्य महाप्रभु ने मिलकर विभिन्न प्रकार के शुद्ध प्रेम के संबंधों का आनंद लिया।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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