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श्लोक 3.13.3  |
হেন-মতে মহাপ্রভু জগদানন্দ-সঙ্গে
নানা-মতে আস্বাদয প্রেমের তরঙ্গে |
हेन - मते महाप्रभु जगदानन्द - सङ्गे ।
नाना - मते आस्वादय प्रेमेर तरङ्गे ॥3॥ |
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अनुवाद |
जगदानंद पंडित के साथ श्री चैतन्य महाप्रभु ने मिलकर विभिन्न प्रकार के शुद्ध प्रेम के संबंधों का आनंद लिया। |
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