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श्लोक 3.13.24  |
জগদানন্দ কহে প্রভুর ধরিযা চরণ
“পূর্ব হৈতে ইচ্ছা মোর যাইতে বৃন্দাবন |
जगदानन्द कहे प्रभुर धरिया चरण ।
पूर्व हैते इच्छा मोर याइते वृन्दावन ॥24॥ |
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अनुवाद |
तब महाप्रभु के चरणों को पकड़कर जगदानंद पंडित ने उनसे कहा, "मैं बहुत लंबे समय से वृंदावन जाने की इच्छा कर रहा हूँ।" |
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