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श्लोक 3.13.122  |
এত বলি’ প্রভু তাঙ্রে আলিঙ্গন কৈলা
প্রভুর কৃপাতে কৃষ্ণ-প্রেমে মত্ত হৈলা |
एत बलि’ प्रभु ताँरे आलिङ्गन कैला ।
प्रभुर कृपाते कृष्ण - प्रेमे मत्त हैला ॥122॥ |
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अनुवाद |
इतना कहने के बाद, श्री चैतन्य महाप्रभु ने रघुनाथ भट्ट को गले लगाया और प्रभु की कृपा से रघुनाथ में कृष्ण के प्रति उत्कट प्रेम जाग्रत हो उठा। |
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