श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 13: जगदानन्द पण्डित तथा रघुनाथ भट्ट गोस्वामी के साथ लीलाएँ  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  3.13.12 
গোবিন্দেরে কহি’ সেই তূলি দূর কৈলা
কলার শরলা-উপর শযন করিলা
गोविन्देरे कहि’ सेइ तूलि दूर कैला ।
कलार शरला - उपर शयन करिला ॥12॥
 
अनुवाद
अपने रजाई और तकिया हटाने के लिए गोविन्द कहकर, महाप्रभु बाँस की सूखी छाल पर लेट गये।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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