श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 12: श्री चैतन्य महाप्रभु एवं जगदानन्द पण्डित का प्रेम व्यवहार  »  श्लोक 152
 
 
श्लोक  3.12.152 
জগদানন্দে-প্রভুতে প্রেম চলে এই-মতে
সত্যভামা-কৃষ্ণে যৈছে শুনি ভাগবতে
जगदान न्दे - प्रभुते प्रेम चले एइ - मते ।
सत्यभामा - कृष्णे यैछे शुनि भागवते ॥152॥
 
अनुवाद
श्री चैतन्य महाप्रभु और जगदानंद पंडित के बीच ऐसा प्यार भरा व्यवहार बना रहा जैसे श्रीमद्भागवत में वर्णित सत्यभामा और भगवान कृष्ण का प्रेम व्यवहार था।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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