|
|
|
श्लोक 3.11.98  |
‘জয জয হরিদাস’ বলি’ কর হরি-ধ্বনি”
এত বলি’ মহাপ্রভু নাচেন আপনি |
|
 |
|
‘जय जय हरिदा स’ बलि’ कर हरि - ध्वनि” ।
एत बलि’ महाप्रभु नाचेन आपनि ॥98॥ |
|
अनुवाद |
|
तब श्री चैतन्य महाप्रभु ने सबों से कहा, "हरिदास ठाकुर की जय जयकार करो और पवित्र हरिनाम का कीर्तन करो।" ऐसा कहकर वे स्वयं ही नृत्य करने लगे। |
|
|
|
|