श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 11: हरिदास ठाकुर का महाप्रयाण  »  श्लोक 94
 
 
श्लोक  3.11.94 
কৃপা করি’ কৃষ্ণ মোরে দিযাছিলা সঙ্গ
স্বতন্ত্র কৃষ্ণের ইচ্ছা, — কৈলা সঙ্গ-ভঙ্গ
 
 
कृपा करि’ कृष्ण मोरे दियाछिला सङ्ग ।
स्वतन्त्र कृष्णेर इच्छा, कैला सङ्ग - भङ्ग ॥94॥
 
अनुवाद
 
  कृष्ण ने मुझ पर अपनी दया दिखाई और हरिदास ठाकुर की संगति दी। परन्तु स्वतन्त्र इच्छा के होने के कारण अब उन्होंने वह संगति खत्म कर दी है और मुझे अलग कर दिया है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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