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श्लोक 3.11.90  |
প্রেমাবিষ্ট হঞা প্রভু করেন বর-দান
শুনি’ ভক্ত-গণের জুডায মনস্-কাম |
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प्रेमाविष्ट हञा प्रभु करेन वर - दान ।
शुनि’ भक्त - गणेर जुड़ाय मनस्काम ॥90॥ |
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अनुवाद |
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प्रेम के आवेश में डूबे हुए श्री चैतन्य महाप्रभु ने सभी भक्तों को आशीर्वाद दिया, जिसे सभी भक्तों ने बड़े प्रसन्नता के साथ सुना। |
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