श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 3: अन्त्य लीला » अध्याय 11: हरिदास ठाकुर का महाप्रयाण » श्लोक 77 |
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| | श्लोक 3.11.77  | স্বরূপ-গোসাঞি প্রভুরে ঘর পাঠাইলা
চারি বৈষ্ণব, চারি পিছাডা সঙ্গে রাখিলা | |  | | स्वरूप - गोसा ञि प्रभुरे घर पाठाइला ।
चारि वैष्णव, चारि पिछाड़ा सङ्गे राखिला ॥77॥ | | अनुवाद | | स्वरूप दामोदर ने श्री चैतन्य महाप्रभु को उनके निवास पर वापस भेज दिया और अपने साथ चार वैष्णवों और चार बोझा ढोने वाले नौकरों को रख लिया। | |
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