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श्लोक 3.11.74  |
‘হরিদাস-ঠাকুরের মহোত্সবের তরে
প্রসাদ মাগিযে ভিক্ষা দেহ’ ত’ আমারে’ |
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‘हरिदास - ठाकुरेर महोत्सवेर तरे ।
प्रसाद मागिये भिक्षा देह’ त’ आमारे’ ॥74॥ |
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अनुवाद |
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महाप्रभु बोले, "मैं हरिदास ठाकुर के देहांत उत्सव के लिए प्रसाद की भीख माँग रहा हूँ। कृपा करके मुझे दान दें।" |
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