|
|
|
श्लोक 3.11.73  |
সিṁহ-দ্বারে আসি’ প্রভু পসারির ঠাঙি
আঙ্চল পাতিযা প্রসাদ মাগিলা তথাই |
|
 |
|
सिंह - द्वारे आ सि’ प्रभु पसारिर ठाङि।
आँचल पातिया प्रसाद मागिला तथाई ॥73॥ |
|
अनुवाद |
|
सिंहद्वार पर पहुँचकर श्री चैतन्य महाप्रभु ने अपना वस्त्र फैलाया और वहाँ के सभी दुकानदारों से प्रसाद माँगने लगे। |
|
|
|
|