श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 11: हरिदास ठाकुर का महाप्रयाण  »  श्लोक 68
 
 
श्लोक  3.11.68 
‘হরি-বোল’ ‘হরি-বোল’ বলে গৌররায
আপনি শ্রী-হস্তে বালু দিলা তাঙ্র গায
‘हरि - बोल’ ‘हरि - बोल’ बले गौरराय ।
आपनि श्री - हस्ते वालु दिला ताँर गाय ॥68॥
 
अनुवाद
श्री चैतन्य महाप्रभु ने ‘हरि बोल’ ‘हरि बोल’ करते हुए अपने दिव्य हाथों से हरिदास ठाकुर के शरीर को रेत से ढक दिया।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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