श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 11: हरिदास ठाकुर का महाप्रयाण  »  श्लोक 66
 
 
श्लोक  3.11.66 
ডোর, কডার, প্রসাদ, বস্ত্র অঙ্গে দিলা
বালুকার গর্ত করি’ তাহে শোযাইলা
 
 
डोर, कड़ार, प्रसाद, वस्त्र अङ्गे दिला ।
वालुकार गर्न करि’ ताहे शोयाइला ॥66॥
 
अनुवाद
 
  बालू में एक गड्ढा खोदकर उसमें हरिदास ठाकुर के शरीर को रखा गया। तत्पश्चात् भगवान् जगन्नाथ का प्रसाद - यथा उनकी रेशमी रस्सियाँ, चन्दन लेप, भोजन तथा वस्त्र - उनके शरीर के ऊपर रखा गया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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