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श्लोक 60
श्लोक
3.11.60
প্রভুর আবেশে অবশ সর্ব-ভক্ত-গণ
প্রেমাবেশে সবে নাচে, করেন কীর্তন
प्रभुर आवेशे अवश सर्व - भक्त - गण ।
प्रेमावेशे स बे नाचे, करेन कीर्तन ॥60॥
अनुवाद
श्री चैतन्य महाप्रभु के प्रेममय व्यवहार के कारण सारे भक्त असहाय थे और वे भी प्रेममय व्यवहार में नृत्य करने और सामूहिक कीर्तन में शामिल होने लगे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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