‘শ্রী-কৃষ্ণ-চৈতন্য’ শব্দ বলেন বার বার
প্রভু-মুখ-মাধুরী পিযে, নেত্রে জল-ধার
‘श्री - कृष्ण - चैतन्य’ शब्द बलेन बार बार ।
प्रभु - मुख - माधुरी पिये, नेत्रे जल - धार ॥55॥
अनुवाद
उन्होंने श्रीकृष्ण चैतन्य के पवित्र नाम का बार-बार उच्चारण किया। जब उन्होंने भगवान् के मुख की मधुरता का पान किया, तो उनकी आँखों से लगातार आँसू गिरने लगे।