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श्लोक 3.11.52  |
হরিদাসের গুণে সবার বিস্মিত হয মন
সর্ব-ভক্ত বন্দে হরিদাসের চরণ |
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हरिदासेर गुणे सबार विस्मित हय मन ।
सर्व - भक्त वन्दे हरिदासेर चरण ॥52॥ |
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अनुवाद |
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हरिदास ठाकुर के अलौकिक गुणों से आभिभूत होकर, वहाँ उपस्थित सभी भक्तों ने उनकी चरण कमलों में श्रद्धापूर्वक नमन किया। |
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