श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 3: अन्त्य लीला » अध्याय 11: हरिदास ठाकुर का महाप्रयाण » श्लोक 47 |
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| | श्लोक 3.11.47  | প্রভু কহে, — ‘হরিদাস, কহ সমাচার’
হরিদাস কহে, — ‘প্রভু, যে কৃপা তোমার’ | |  | | प्रभु कहे,‘हरिदास, कह समाचार’ ।
हरिदास कहे , - ‘प्रभु, ये कृपा तोमार’ ॥47॥ | | अनुवाद | | श्री चैतन्य महाप्रभु ने प्रश्न किया, “हे हरिदास, क्या समाचार है?” हरिदास ठाकुर ने उत्तर दिया, “हे प्रभु, आप मुझपर जो भी कृपा करना चाहें।” | |
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