श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 11: हरिदास ठाकुर का महाप्रयाण  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  3.11.29 
স্বতন্ত্র ঈশ্বর তুমি হও ইচ্ছাময
জগত্ নাচাও, যারে যৈছে ইচ্ছা হয
 
 
स्वतन्त्र ईश्वर तुमि हओ इच्छामय ।
जगत् नाचाओ, यारे यैछे इच्छा हय ॥29॥
 
अनुवाद
 
  हे प्रभु, तुम पूर्ण रूप से आजाद और स्वतंत्र ईश्वर हो। तुम अपनी मर्ज़ी से काम करते हो। तुम पूरी दुनिया को अपनी तरह से नचाते हो और जैसे चाहो काम करवाते हो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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