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अध्याय 11: हरिदास ठाकुर का महाप्रयाण
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श्लोक 26
श्लोक
3.11.26
এবে অল্প সঙ্খ্যা করি’ কর সঙ্কীর্তন”
হরিদাস কহে, — “শুন মোর সত্য নিবেদন
एबे अल्प सङ्ख्या करि’ कर सङ्कीर्तन” ।
हरिदास कहे , - “शुन मोर सत्य निवेदन ॥26॥
अनुवाद
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महाप्रभु अन्त में उनसे बोले, "इसलिए, अब तुम जप की निश्चित संख्या घटा दो।" हरिदास ठाकुर ने कहा, "कृपया मेरी असली विनती सुनिए।"
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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