श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 11: हरिदास ठाकुर का महाप्रयाण  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  3.11.23 
প্রভু কহে, — ‘কোন্ ব্যাধি, কহ ত’ নির্ণয?’
তেঙ্হো কহে, — ‘সঙ্খ্যা-কীর্তন না পূরয’
प्रभु कहे, - ‘कोन् व्याधि, कह त’ निर्णय ?’ ।
तेंहो कहे , - ‘सङ्ख्या - कीर्तन ना पूरय’ ॥23॥
 
अनुवाद
श्री चैतन्य महाप्रभु ने फिर हरिदास से पूछा, "क्या तुम बता सकते हो कि तुम्हारा रोग क्या है?"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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