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श्लोक 3.11.106  |
চৈতন্য-চরিত্র এই অমৃতের সিন্ধু
কর্ণ-মন তৃপ্ত করে যার এক বিন্দু |
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चैतन्य - चरित्र एइ अमृतेर सिन्धु ।
कर्ण - मन तृप्त करे यार एक बिन्दु ॥106॥ |
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अनुवाद |
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श्री चैतन्य महाप्रभु का जीवन और उनका चरित्र अमृत के समुद्र के समान है। उनकी एक बूंद ही मन और कानों को तृप्त कर सकती है। |
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