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श्री चैतन्य चरितामृत
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लीला 3: अन्त्य लीला
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अध्याय 1: महाप्रभु से श्रील रूप गोस्वामी की द्वितीय भेट
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श्लोक 48
श्लोक
3.1.48
‘রূপ দণ্ডবত্ করে’, — হরিদাস কহিলা
হরিদাসে মিলি’ প্রভু রূপে আলিঙ্গিলা
‘रूप दण्डव त् - करे’, - हरिदास कहिला ।
हरिदासे मि लि’ प्रभु रूपे आलिङ्गिला ॥48॥
अनुवाद
जब महाप्रभु आये, रूप गोस्वामी ने तत्काल उनके चरणों में नमन किया। इस पर हरिदास ने महाप्रभु को बताया, "यह रूप गोस्वामी आपको नमन कर रहे हैं," और महाप्रभु ने उन्हें अपने बाहों में भर लिया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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