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अध्याय 1: महाप्रभु से श्रील रूप गोस्वामी की द्वितीय भेट
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श्लोक 129
श्लोक
3.1.129
রায কহে, — ‘কহ ইষ্ট-দেবের বর্ণন’
প্রভুর সঙ্কোচে রূপ না করে পঠন
राय कहे, - ‘कह इष्ट - देवेर वर्णन’ ।
प्रभुर सङ्कोचे रूप ना करे पठन ॥129॥
अनुवाद
रामानंद राय ने कहा, "अब अपने उपास्य देवता की महिमा का वर्णन करें।" किंतु रूप गोस्वामी श्री चैतन्य महाप्रभु की उपस्थिति में संकोचवश झिझक रहे थे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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