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श्लोक 2.9.355  |
সার্বভৌম-সঙ্গে আর লঞা নিজ-গণ
তীর্থ-যাত্রা-কথা কহি’ কৈল জাগরণ |
सार्वभौम - सङ्गे आर लञा निज - गण ।
तीर्थ - यात्रा - कथा क हि’ कैल जागरण ॥355॥ |
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अनुवाद |
श्री चैतन्य महाप्रभु और उनके निजी सहयोगी सार्वभौम भट्टाचार्य के यहाँ ही रहे। वे सारी रात महाप्रभु की तीर्थयात्रा का वृत्तांत सुनते हुए जागते रहे। |
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