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श्लोक 2.9.279  |
ত্রিতকূপে বিশালার করি’ দরশন
পঞ্চাপ্সরা-তীর্থে আইলা শচীর নন্দন |
त्रितकूपे विशालार करि’ दरशन ।
पञ्चाप्सरा - तीर्थे आइला शचीर नन्दन ॥279॥ |
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अनुवाद |
माता शची के पुत्र श्री चैतन्य महाप्रभु इसके बाद त्रितकूप गए और वहाँ पर विशाला अर्चाविग्रह का दर्शन करने के बाद वे पंचाप्सरा नामक तीर्थस्थान गये। |
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