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श्लोक 2.9.249  |
কৃষ্ণ-মূর্তি দেখি’ প্রভু মহা-সুখ পাইল
প্রেমাবেশে বহু-ক্ষণ নৃত্য-গীত কৈল |
कृष्ण - मूर्ति देखि’ प्रभु महा - सुख पाइल ।
प्रेमावेशे बहु - क्षण नृत्य - गीत कैल ॥249॥ |
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अनुवाद |
श्री चैतन्य महाप्रभु को गोपाल जी का यह मनमोहक स्वरूप देखकर अत्यंत आनंद की प्राप्ति हुई। वह बहुत समय तक भाव-विभोर होकर नाचते और कीर्तन करते रहे। |
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