श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 9: श्री चैतन्य महाप्रभु की तीर्थयात्राएँ  »  श्लोक 194
 
 
श्लोक  2.9.194 
অপ্রাকৃত বস্তু নহে প্রাকৃত-গোচর
বেদ-পুরাণেতে এই কহে নিরন্তর
अप्राकत वस्तु नहे प्राकत - गोचर ।
वेद - पुराणेते एइ कहे निरन्तर ॥194॥
 
अनुवाद
“आध्यात्मिक तत्त्व कभी भी भौतिक ज्ञान के दायरे में नहीं होता। यह हमेशा से ही वेद और पुराणों का निर्णय रहा है।”
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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