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श्लोक 2.9.137  |
অন্য দেহে না পাইযে রাস-বিলাস
অতএব ‘নাযṁ’ শ্লোক কহে বেদ-ব্যাস |
अन्य देहे ना पाइये रास - विलास ।
अतएव ‘नायं’ श्लोक कहे वेद - व्यास ॥137॥ |
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अनुवाद |
वैदिक साहित्य के सर्वोपरि अधिकारी व्यासदेव जी ने "नायं सुखापो भगवान्" से शुरू होने वाले श्लोक की रचना की क्योंकि कोई भी व्यक्ति गोपियों के शरीर के अलावा किसी अन्य शरीर के साथ रासलीला नृत्य में प्रवेश नहीं कर सकता। |
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