“यशोदा नंदन भगवान श्री कृष्ण केवल उन्हें ही सहजता से प्राप्त होते हैं, जो भक्ति के अवलंब से रागानुगा भक्ति में लीन रहते हैं। किंतु वे मानसिक तर्कों को आधार मानने वालों, तप व संयम से आत्मसाक्षात्कार के लिए प्रयत्न करने वालों या शरीर को ही आत्मा मानने वालों को इतनी सरलता से सुलभ नहीं हैं।” |