“द्वारका के महल के एक रत्नजड़ित स्तंभ में अपनी परछाई देखकर कृष्ण ने उसे देखकर आलिंगन करना चाहा और कहा, "अरे, मैंने इससे पहले इतना सुन्दर व्यक्ति कभी नहीं देखा। यह कौन है? इसे देखकर ही मैं उससे गले मिलने के लिए उत्सुक हो रहा हूँ, बिलकुल श्रीमती राधारानी की तरह।" |