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श्लोक 2.8.129  |
‘সন্ন্যাসী’ বলিযা মোরে না করিহ বঞ্চন
কৃষ্ণ-রাধা-তত্ত্ব কহি’ পূর্ণ কর মন |
‘सन्न्या सी’ बलिया मोरे ना करिह वञ्चन ।
कृष्ण - राधा - तत्त्व क हि’ पूर्ण कर मन ॥129॥ |
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अनुवाद |
श्री चैतन्य महाप्रभु ने आगे कहा, "मुझे विद्वान संन्यासी समझकर छलने की कोशिश मत करो। राधा और कृष्ण के तत्त्व का वर्णन करके मेरे मन को तृप्त करो।" |
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