श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 7: महाप्रभु द्वारा दक्षिण भारत की यात्रा  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  2.7.14 
শুনিযা সবার মনে হৈল মহা-দুঃখ
নিঃশব্দ হ-ইলা, সবার শুকাইল মুখ
शुनिया सबार मने हैल महा - दुःख ।
निःशब्द हइला, सबार शुकाइल मुख ॥14॥
 
अनुवाद
श्री चैतन्य महाप्रभु के मुख से यह समाचार सुनकर सारे भक्त अत्यन्त दुःखी हुए, उनके चेहरे उतर गये और वे चुप हो गये।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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