श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 2: मध्य लीला  »  अध्याय 6: सार्वभौम भट्टाचार्य की मुक्ति  »  श्लोक 36
 
 
श्लोक  2.6.36 
প্রসাদ পাঞা সবে হৈলা আনন্দিত মনে
পুনরপি আইলা সবে মহাপ্রভুর স্থানে
प्रसाद पाञा सबे हैला आनन्दित मने ।
पुनरपि आइला सबे महाप्रभुर स्थाने ॥36॥
 
अनुवाद
भगवान जगन्नाथ जी द्वारा पहनी गई माला को पाकर सभी लोग अति प्रसन्न हुए। उसके बाद वे सभी उस स्थान पर वापस आ गए जहाँ महाप्रभु श्री चैतन्य जी ठहरे हुए थे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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