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श्लोक 2.6.274  |
যদ্যপি তোমার অর্থ এই শব্দে কয
তথাপি ‘আশ্লিষ্য-দোষে’ কহন না যায |
यद्यपि तोमार अर्थ एइ शब्दे कय ।
तथापि ‘आश्लिष्य - दोषे’ कहन ना याय ॥274॥ |
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अनुवाद |
यद्यपि आपका स्पष्टीकरण सही है, किंतु ‘मुक्ति पद’ शब्द में अस्पष्टता होने के कारण इसका प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। |
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